हमें इस बात पर गर्व करना चाहिए कि प्रेमचंद केवल हिंदी और हिंदुस्तान के ही महान लेखक नहीं हैं. उर्दू भाषी पाकिस्तान के भी हैं. आखिर वे कौन-से कारण हैं कि राष्ट्रीय राजनीति में एक-दूसरे से त्रस्त देशों में प्रेमचंद उसी तरह स्वीकृत और मान्य हैं जिस तरह मीर-ग़ालिब और फैज या फिर मंटो. READ MORE
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